पापा तुम बहुत याद आए
मेरे रहनुमा, तुम्हारा साया था
जब तक मेरे सिर पर
एहसास हुआ ही नहीं कभी
कितने अनमोल थे आप।
जीवन के संघर्षों से
लड़ना हमें सिखाया
पंख दिए चिड़िया से
उडना हमें सिखाया
कभी न मानो हार
जीवन में यह पाठ पढ़ाया।
जाने अनजाने में तुम्हारी बातों ने
जीवन हमारा खुशहाल बनाया
पापा तुम बहुत याद आए !!
मुश्किल घड़ियों में हंसना
सीखा तुम्हीं से
आंसुओं के सैलाब से
लड़ना सीखा तुम्हीं से
परिवार की खुशी का
महत्व जाना तुम्ही से।
हर मंजिल लगती थी आसान
जब था साथ रहनुमा तुम्हारा
साधन कम थे प्रेम बहुत था
तुमसे जीवन में रंग बहुत था।
वह घडियां ,वह पल छिन
बिताए थे जो तुम्हारे साथ
संजोकर रखे हैं ह्रदय में
तुम्हारी मुस्कान के पीछे
छिपे गम को न जान पाए
पापा तुम बहुत याद आए !!
– रेखा मित्तल, चंडीगढ़