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गीत – जसवीर सिंह हलधर

तू संस्कार की सोम सुधा, कर्तव्यों की अंगूरी है ।

अब प्यार जता या ताने दे ,दोनों का साथ ज़रूरी है ।।

 

मैं कर्म योग का साधक हूँ , कविता मेरी पहचान बनी ।

पग पग पे साथ निभाया है , तू ईश्वर का वरदान बनी ।

आधारहीन हूं तेरे बिन , अस्तित्व नहीं कुछ भी मेरा ,

तेरे कारण ही महक रहा , तू ही मेरी कस्तूरी है ।।

अब प्यार जता या ताने दे ,दोनों का साथ ज़रूरी है ।।1

 

सुख चैन साथ में जीया है , दुःख बांट लिया आधा आधा ।

बे वक्त उठे तूफानों को ,दोनों ने ही मिलकर साधा ।

मैं शब्दों का सौदागर हूं , तू भावों की फुलवारी है ,

कर्तव्य निभाए दोनों ने , मान इसे मजबूरी है ।।

अब प्यार जता या ताने दे ,दोनों का साथ ज़रूरी है ।।2

 

पिछले जन्मों के कर्मों का, लेखा जोखा सब घटना ।

रेती पर लिखे नाम जैसा ,इस जीवन को भी मिटना है ।

अपराध किए होंगे जो भी,वो सजा भोगकर जानी है ,

ध्रुव तारा मुझको बनने में ,बाकी थोड़ी सी दूरी है ।।

अब प्यार जता या ताने दे , दोनों का साथ ज़रूरी है ।।3

 

बेटा पति पिता भ्रात वाले ,किरदार निभाए हैं सविनय ।

थोड़ा सा जीवन शेष बचा ,हो चुका पूर्ण मेरा अभिनय ।

कब मौत सहेली आयेगी , हमको एकल कर जायेगी ,

लेकिन तेरे बिन दुनिया में ,”हलधर” तस्वीर अधूरी है ।।

अब प्यार जता ताने दे , दोनों का साथ ज़रूरी है ।।4

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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