किसकी लगी तुझको नज़र किसकी लगी है बद्दुआ ।
आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।
परदेश जाकर मुल्क की करने लगा बदनामियां ।
तूने कभी खोजी नहीं अंतस छिपी नाकामियां ।
सागर समझते थे तुझे तू बन गया उथला कुआ ।।
आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।1
आशा निराशा ने डसी सड़कें तुझे ढोती रहीं ।
कंधे बदलती मन्नतें घर में खड़ी रोती रहीं ।
खलिहान तुझको कोसते हैं ,बैल छोड़े हैं जुआ ।।
आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।2
पीले पड़े मुरझा गए हैं पेड़ तेरी याद में ।
ऋतुएं बहुत नाराज़ हैं जाने लगीं अवसाद में ।
बंगाल में रोने लगी ये देखकर ममता बुआ ।।
आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।3
दिनमान माना था तुझे तू रात काली हो गया ।
आशा कुचल जनतंत्र की तू क्यों मवाली हो गया ।
पिज्जा समझ कर खा गया तू लोकशाही का पुआ ।।
आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।4
आवाज़ दे दे कर थकी तुझको यहां पुरबाइयां ।
तुझको कभी भायी नहीं इस देश की अमराइयां ।
“हलधर” तुझे खंजर कहे या घाव सीने का सुआ ।।
आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।5
जसवीर सिंह हलधर , देहरादून