(1)”बदले “, बदले है जब-जब यहां पे मौसम
तो जाए बदल मेरा ये मन !
नाचे जमकर ये मन मयूर……,
चढ़ आए तन पे खुशियों के रंग !!
(2)”मौसम “, मौसम के मिजाज का है पता नहीं
कि, ये कब जाएगा यहां बदल !
रहता हूं ख़ुद से ही ये सवाल पूछता….,
कि, कैसा होएगा आने वाला पल !!
(3)”बदले “, बदले मौसम, बदले जीवनचर्या
और साथ ही बदले जीवन का क्रम !
है कहीं धूप तो कहीं पे छाया……..,
और बरस रही कहीं बारिश छमाछम !!
(4)”मन “, मन भागे चले जा रहा कहीं दूर
नहीं एक पल भी चैन से यहां बैठें !
किसको सुनाएं अपनी मन व्यथाएं…..,
हैं बसे सभी दूर यहांपर मुझसे !!
(5)”बदले मौसम, बदले है मन “,
करने लगा है आँख मिचौली मौसम !
कभी दिन में ही दिखने लगे हैं तारे….,
और रात चले बनाए मुझे बेदम !!
(6)अब कहां रहे सब मौसम एकसार
ये बदलने लगे हैं इंसानों की तरह !
इनपे कैसे किया जाए एतबार……,
छायी मायूसी है अब हर जगह !!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान