उत्तराखण्ड

एचसीएल फाउंडेशन ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और आईएनटीएसीएच के साथ अपनी साझेदारी का विस्तार किया

देहरादून 10 जून, 2023: एचसीएल फाउंडेशन (एचसीएलएफ)जो एक प्रमुख वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनी एचसीएलटेक के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) एजेंडा को प्रदान करता हैने उत्तराखंड के पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में देशी जैव विविधता का प्रचार-प्रसार करने के लिए अगले तीन वर्षों के लिए नेशनल मिशन फ़ॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फ़ॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (आईएनटीएसीएच) के साथ अपनी साझेदारी को एक नया रूप प्रदान किया है।

 

पिछले पाँच वर्षों मेंएचसीएल फाउंडेशन और उसके सहयोगी आईएनटीएसीएच ने 13,550 से अधिक पौधे लगाएजिनमें 11,300 रुद्राक्ष के पौधे और अन्य उससे संबंधित देशी प्रजातियों के 2,250 पौधे शामिल हैंजो कि चमोली जिले के गोपेश्वर के गंगोलगाँव क्षेत्र में सेंतुना गाँव और अल्मोड़ा जिले का आटी गाँव के पास 30 एकड़ की सामुदायिक स्वामित्व वाली भूमि में लगाए गए हैं। इस प्रयास के हिस्से के तौर परलगभग 200 स्थानीय समुदायों (एनएसएस स्वयंसेवकमहिला मंगल दल के सदस्यकिसानस्कूली बच्चों और अन्य सहित) ने जागरूकता अभियानों और वृक्षारोपण और रखरखाव के प्रयासों में भाग लिया है।

 

इस वृक्षारोपण ने इस क्षेत्र में पक्षियोंजानवरों और अन्य प्रजातियों के साथ उन क्षेत्रों में अपना अशियाना खोजने के साथ मूल जैव विविधता में सुधार किया है जहाँ पौधे लगाए गए हैं। कई स्तनपायी जानवर (बार्किंग हिरणनीली भेड़)पक्षी (लाफिंग थ्रशग्रे ट्रीपीब्लू-कैप्ड रॉक थ्रश)तितलियाँ (कॉमन सेलर और कॉमन बैंडेड पीकॉक) और मकड़ियों (जाइंट वुड स्पाइडर) को स्थानीय समुदायों और फील्ड टीमों द्वारा नियमित रूप से देखा जाता है।

 

इस विस्तारित साझेदारी का उद्देश्य उत्तराखंड में मूल जैव विविधता और आवास को बहाल करने में इस अनूठी पहल के सकारात्मक प्रभाव को दोगुना करना है। एचसीएल फाउंडेशन का लक्ष्य 2026 तक इस क्षेत्र में रुद्राक्ष के 10,000 और पौधे और अन्य देशी प्रजातियाँ लगाना है। यह क्षरित आवासों को बहाल करने और मूल जैव विविधता के संरक्षण के लिए सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करेगा।

 

एचसीएल फाउंडेशन का इस क्षेत्र में प्राकृतिक आवास के क्षरण और मूल जैव विविधता के नुकसान के विरुद्ध सफल अभियान और इसके एन.जी.ओ. सहयोगी के साथ मिलकर किए गए ठोस प्रयास हिमालय के जंगलों में क्षणभंगुर पारिस्थितिकी तंत्र में सहयोग प्रदान करने में मदद कर रहे हैं। एमओयू का नवीनीकरण भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक पारिस्थितिकी को संरक्षित करते हुए भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों में योगदान देगा,” जी अशोक कुमारमहानिदेशकएनएमसीजीजल शक्ति मंत्रालयभारत सरकार ने कहा।

 

डॉ. निधि पुंढीरउपाध्यक्षाग्लोबल सीएसआरएचसीएल फाउंडेशन ने स्थानीय जैव विविधता के साथ बिगड़े हुए आशियानों को पुनर्स्थापित करने की दिशा में मिलकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया और इस संबंध में सरकार के प्रयासों की सराहना की। “एचसीएल फाउंडेशन मेंहमने प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने को बढ़ावा देने के लिए हमेशा एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। हम हमेशा गंगा के जलग्रहण क्षेत्र में देशी प्रजातियों के वृक्षारोपण को बढ़ावा देकर उससे जुड़ी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का सम्मान करते हुए एक सशक्त और संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र में सहयोग प्रदान करने के लिए काम करते हैं। यह नवीनीकृत एमओयू आशियानों की समुदाय आधारित बहाली में स्थानीय हितधारकों को शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा,” उन्होंने कहा।

 

 सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में इस त्रिपक्षीय एमओयू पर जी. अशोक कुमारमहानिदेशकएनएमसीजीजल शक्ति मंत्रालयडॉ. निधि पुंढीरउपाध्यक्षाग्लोबल सीएसआरएचसीएल फाउंडेशन और मनु भटनागरप्रधान निदेशकप्राकृतिक विरासत प्रभाग, INTACH ने हस्ताक्षर किए।

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