मनोरंजन

चौपाई छंद – मधु शुकला

जहाँ  बात  सम्मान  न  पाये।

मौन  वहाँ  पर  रंग  जमाये।।

 

सोच समझ कर ही मुँह खोलो।

जब  पूछे  कोई   तब  बोलो।।

 

जो  बड़बड़  करते  रहते  हैं।

पीर  उपेक्षा  को  सहते  हैं।।

 

अपनों के बिन जिया न जाये।

तन्हाई  बिष  पिया  न जाये।।

 

इसीलिए  आवश्यक   मानो।

मौन  साधना  को  पहचानो।।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

गीत – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

तेरा पागल कहना – अनुराधा पाण्डेय

newsadmin

वृक्ष थे छायादार पिताजी – महावीर उत्तरांचली

newsadmin

Leave a Comment