जहाँ बात सम्मान न पाये।
मौन वहाँ पर रंग जमाये।।
सोच समझ कर ही मुँह खोलो।
जब पूछे कोई तब बोलो।।
जो बड़बड़ करते रहते हैं।
पीर उपेक्षा को सहते हैं।।
अपनों के बिन जिया न जाये।
तन्हाई बिष पिया न जाये।।
इसीलिए आवश्यक मानो।
मौन साधना को पहचानो।।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश