मनोरंजन

परिवार – सुनील गुप्ता

(1) ” प “, पहचान बनाए और जो मान बढ़ाए

होता है वही एक समृद्ध परिवार  !

रखकर सभी को एकजुट यहांपर…..,

बने सभी के लिए सुख का आधार  !!

(2) ” रि “, रिश्ते नाते बनते हैं परिवार संग

और मिलती है इससे हमको इज्जत  !

है ये संस्कारों की एक पाठशाला…..,

करे परिवार सदा ही हमारी हिफ़ाजत !!

(3) ” वा “, वाक़िफ़ बनाए चले सभी को यहां पर

और सदा बचाए परिवार अनहोनी से  !

है परिवार हमारी शक्ति और संबल……,

ये सदा दूर रखे चिंताओं से  !!

(4) ” र “, रहते हैं जो एकजुट परिवार संग

वहां कोई फायदा उठा नहीं सकता  !

परिवार है वो केंद्रीयकृत व्यवस्था……,

जहां मुखिया ही निर्णय ले सकता !!

(5) ” परिवार “, परिवार से बड़ा है जीवन नहीं

और नहीं है इससे बड़ा कोई भी धन  !

माँ पिता भाई बहिन पत्नी सभी……,

चले बनाए परिवार को अनमोल रत्न !!

-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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