मनोरंजन

नव बिहान – अशोक यादव

कुकरा बासय छानही चघके,

गरुआ मन जावत हें दईहान।

चिरई मन रुख म गीत गावंय,

संगवारी अब होगे नवा बिहान।।

 

नांगर धरके किसान निकलय,

खेत म सोनहा धान बोयें बर।

पुछी डोलावय कमिहा बईला,

बुता करके कांदी,पैरा खाये बर।।

 

खंती कोड़े जावय खनकोड़वा,

कुदरा म चानय करिया पार ल।

गारय पछिना संझा-बिहनिया,

दतवन टेंवय बमभरी डार ल।।

 

पेज धरके आवय पेजहारिन,

धरसा म कनिहा ल मटकावत।

मैना कस भाखा गुरतुर हवय,

ददरिया मया-पिरीत के गावत।।

 

सोये मनखे मन अब जाग जव,

जम्मो झन बुता करव जांगरटोर।

करम के धरसा ल चतारत चलव,

नवा सुरुज के नवा हवय अंजोर।।

– अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़

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