मनोरंजन

गजल — ऋतु गुलाटी

यार मेरे  हो गये लाचार से।

बच न पाया आज वो स्वीकार से।

 

यार  घायल भी हुआ दिल आपसे

दूरियाँ सह ना  सकेगे यार से।

 

चहकता दिल आज मेरा है बड़ा।

प्यार से जब वो मिला दीदार से।

 

प्यार मे अब जिंदगी भी थक गयी।

दूर अब कैसे रहे हम यार से।

 

तल्खियाँ देती सदा परशानियाँ।

आ करे हल,दूर मसले प्यार से।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब

Related posts

भारत भूमि जगमग हो – मुकेश कुमार दुबे

newsadmin

ग़ज़ल – ऋतू गुलाटी

newsadmin

कवि विजय कुमार को मिला साहित्य रत्न सम्मान-2022

newsadmin

Leave a Comment