मनोरंजन

इंतजार – सुनील गुप्ता

(1) ” इं ” , इंसान तेरी फितरत है ऐसी

कि, करता आया तू सदैव इंतजार  !

है ज़िन्दगी की ये जुस्तुजू…..,

कि, जिसे चाहें वो नहीं मिले यहां यार !!

(2) ” त “, तलाशते रहे ज़िन्दगी भर जिसे

वह रहा सदा हाथ से फ़िसलते  !

लिखा है जिसकी ज़िन्दगी में करना इंतजार.,

वह रह जाता सदा हाथ ही मलते  !!

(3) ” जा “, जाने वाले कहां आते हैं लौटकर

वह तो बन स्मृति रह जाते हैं मात्र  !

छोड़ें करना यहां उनका इंतजार…..,

बस जीए चलें ज़िन्दगी भरपूर आज !!

(4) ” र “,  रहेंगे वो सदा बने हमारी स्मृतियों में

देती रहेंगी स्मृतियाँ हमें ख़ुशी प्रसन्नता  !

जीवन के हरेक आनंद के पल में……,

वह भर जाएंगे आकर हममें दिव्यता  !!

(5) ” इंतजार “, इंतजार है जीवन की कटु सच्चाई

ये चलता रहता जन्म से मृत्यु तक  !

उनके आने की आशा में उम्र बितायी..,

वह रहेंगे जिंदा हमारी स्मृतियों में अंत तक !!

-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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