यार मेरे हो गये लाचार से।
बच न पाया आज वो स्वीकार से।
यार घायल भी हुआ दिल आपसे
दूरियाँ सह ना सकेगे यार से।
चहकता दिल आज मेरा है बड़ा।
प्यार से जब वो मिला दीदार से।
प्यार मे अब जिंदगी भी थक गयी।
दूर अब कैसे रहे हम यार से।
तल्खियाँ देती सदा परशानियाँ।
आ करे हल,दूर मसले प्यार से।
– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब