(1)”ना “, ना हूं भविष्य
ना बीता समय !
हूं मैं वर्तमान……,
लिखता जय विजय !!
(2)”कल “, कल है कल्पना
आज है सत्य !
था बीता अफ़साना…..,
वर्तमान ही लक्ष्य !!
(3)”था “, था जो कभी
अब नहीं रहा !
बस वर्तमान में……,
जीता तत्क्षण रहा !!
(4)”ना “, ना वक़्त था
ना होगा समय !
है जो कुछ……,
यही वर्तमान परिदृश्य !!
(5)”कल “, कल ना आएगा
बीता ना लौटेगा !
रहेगा सदा ही…….,
भरोसा आज का !!
(6)”रहूंगा “, रहूंगा ना कल
होगा ना त्रास !
आज का पल…..,
बनाएं चलें ख़ास !!
(7)”ना कल था, ना कल रहूंगा
हूं आज, यही है ज्ञान !
वर्तमान में रहना ही…..,
है जीवन साधना ध्यान !!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान