मनोरंजन

गीत – जसवीर सिंह हलधर

देवता आहत हुए रोने लगे त्योहार हैं ।

राख ठंडी है मगर भीतर छुपे अंगार हैं ।।

 

राजनेता ही बढ़ाते दिख रहे अलगाव को ।

फूँकने पर हैं आमादा देश के सदभाव को ।

रोज लाशें गिर रही हैं देख लो कश्मीर में ,

हर गली हर मोड़ पर बैठे हुए मक्कार हैं ।।

राख ठंडी है मगर भीतर छुपे अंगार हैं ।।1

 

डोलियों पर पत्थरों से हो रहे हैं आक्रमण ।

धार्मिक उन्माद का दिखने लगा ऐसा चरण ।

पूर्णता की ओर जिनका नाश जाता दिख रहा ,

मज़हबी कुछ मानसिक रोगी बहुत बीमार हैं ।।

राख ठंडी है मगर भीतर छुपे अंगार हैं ।।2

 

आमजन भयभीत है आतंक भ्रष्टाचार से ।

आदमीयत दूर होती दिख रही व्यवहार से ।

राजनैतिक सोच में अब गंदगी ही गंदगी ,

हिंदुओं के बीच में भी कौम के गद्दार हैं ।।

राख ठंडी है मगर भीतर छुपे अंगार हैं ।।3

 

हम नया भारत बनाने के सपन गढ़ते रहे ।

वो हमारे वक्ष पर इस आढ़ में चढ़ते रहे ।

वक्त आता दिख रहा है फैसला कुन जंग का ,

प्रश्न “हलधर ” पूछता क्या युद्ध को तैयार हैं ।।4

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

Related posts

गजब का रिश्ता – राजेश कुमार

newsadmin

दौलत में जकड़ी दुनिया – मुकेश मोदी

newsadmin

संग-संग अब चल – सविता सिंह

newsadmin

Leave a Comment