मनोरंजन

पर्यावरण – सहदेव सिंह

मन करता है मैं भी एक,

नन्ही चिड़िया बन जाऊँ,

हरी भरी लीचियाँ डाल पर,

सुन्दर कोई गीत सुनाऊँ।

 

पर कैसे हो यह संभव,

हरियाली का बहुत अभाव,

नित जंगल कटते जाते ,

नए भवन उगते जाते।

 

शीतल हवा स्वच्छ नीर से,

फिर महके ये मेरा पर्यावरण,

ऐसे सुन्दर से परिवेश का,

मैं देव करूँ सदैव वरण।

– सहदेव सिंह देव, हरिद्वार, उत्तराखंड

Related posts

पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी भारतीय कलाकार को विदेशी गाने में अपने म्यूजिक के लिए क्रेडिट और रॉयल्टी मिली है: मिथुन

newsadmin

हिंदी कविता – डॉ मेघना शर्मा

newsadmin

मंत्र जाप, दूर करे जीवन के शाप – सुनील गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment