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चर्चा हुई, कविता कैसे लिखी जाती है? – रेखा मित्तल

neerajtimes.com चंडीगढ़ – कविता तो एहसास है, कविता भावों का वह समंदर है जो वर्षों से मन की तहों में दबा पड़ा था और स्नेहित स्पर्श मिलते ही लावा सा फूट पडा। कविता लिखने के लिए कोई विशेष माहौल नहीं चाहिए, कविता तो रचनाकार भीड़ में भी लिख लेता है। एहसास जीने नहीं देते जब तक उनको शब्दों में न उतार दो! यह बात तो मैं भी महसूस करती हूंँ कि मैंने अपनी बहुत सारी रचनाएं चंडीगढ़ से दिल्ली शताब्दी में लिखी थी। कभी-कभी तो मन में‌ कुछ भाव उमडते है तो उनको उसी समय लिखने का मन करता है।कविता जरूरत से नहीं लिखी जाती। कई लोगों का यह प्रश्न होता है आप किस समय लिखते हैं? लिखने का कोई समय नहीं, जब भाव, विचार या एहसास इतनी खलबली मचाए, कि बरबस आपको कागज कलम लेना ही पड़ता है।

शहर की अनेक जानी-मानी हस्तियों ने अपने विचार रखें और अपनी रचनाओं से समाँ बांधा । किसी ने बताया कभी वह रात में उठकर लिखती हैं, कभी वह सुबह लिखती हैं, तो रचनाकार खुद नहीं लिखता ,कविता अपने आप लिखी जाती है। सभी ने अपने-अपने अनुभव साँझा किए। लिखने से मन हल्का होता है,सुकून मिलता है शांति मिलती है। लिखना तो परमात्मा की एक नेमत है,जो हम कह नहीं पाते उस को कागज पर उतार देते हैं।

रचनाएं तो हम अवसर महफिलों में सुन लेते हैं पर उसके पीछे की कहानी, हम क्यों लिखते हैं ? कविता हमारे लिए क्या है ? सुन कर बहुत आनंद आया। आप शहर में साहित्य और कला को बढावा देते हुए एक सुंदर मंच प्रदान कर रही हो।

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