मनोरंजन

ग़ज़ल – ऋतु गुलाटी

राज दिल के सुना दीजिए,

फूल दिल के खिला दीजिए।

 

जख्म तुमने हमे अब दिये,

दूर से ही हँसा दीजिए।

 

साथ तेरा मिले जब हमें,

अब मुहब्बत दिखा दीजिए।

 

प्यार में मुस्कुरा दीजिये,

दर्द दिल का भुला दीजिए।

 

आग दिल मे हमारे लगी,

मत शरारे हवा दीजिए।

 

बात दिल की सुनो आज तो,

गीत मेरा सुना दीजिए।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली, पंजाब

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