मनोरंजन

गीत – झरना माथुर

मांझी रे मांझी रे,

रे मुझे पार जाना है।

 

हवा भी बहे सनसन,

नदी भी कहे कलकल,

सजन पास जाना  है।

मुझे पार जाना है……………

 

सूरज की किरण गुनगुन

श्यामा करें कुनकुन,

समां ये सुहाना है।

मुझे पार जाना है……………

 

जिया में हुई हलचल

कंगन भी करे खनखन,

बलम को रिझाना  है।

मुझे पार जाना है……………

– झरना माथुर, देहरादून , उत्तराखंड

Related posts

आजादी के 75 वे अमृत महोत्सव पर विराट काव्य संध्या आयोजित

newsadmin

क्यों लड़ रहे लोग भला – हरी राम यादव

newsadmin

मानद उपाधि डाक्टरेट से सम्मानित हुए सुरज श्रीवास एवं सुश्री लक्ष्मी करियरे

newsadmin

Leave a Comment