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गीत – जसवीर सिंह हलधर

राम के नाम पर क्यों वतन जल रहा ।

तितलियां जल रहीं हैं चमन जल रहा ।।

 

झूठ सच्चा लगा सत्य झूठा जचा ।

हाथ में कांच का एक टुकड़ा बचा ।

देश आगे बढ़ा था इरादा लिए ।

सत्य गांधी अहिंसा लबादा लिए ।

साथ बापू किया वो वचन जल रहा ।।1

 

बाहरी मुल्क के लोग आते रहे ।

व्याज के नाम हम मूल खाते रहे ।

ख्वाब जो आसमानी सजाये कभी ।

कुछ जमीं पर सितारे बुलाये कभी ।

सप्त ऋषियों सजा ये गगन जल रहा ।।2

 

मज़हबी आग क्यों आज ज्ञापित हुई ।

धर्म निरपेक्षता मिथ्य साबित हुई ।

लोह दीवार साबित हुई मौम की ।

यज्ञ समिधा अधूरी रही कौम की ।

हाथ भी जल रहे आचमन जल रहा ।।3

 

बाड़ खाने लगी आजकल खेत को ।

नदी निवाला बनाने लगी रेत को ।

देश पर जान देते रहे लाडले ।

बाप माँ के रुदन से भरे हैं गले ।

देख हालात “हलधर” बदन जल रहा ।।

राम के नाम पर क्यों वतन जल रहा ।।4

-जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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