बाहर छाई है खामोशी
पर दिल में बहुत शोर है
अजीब है हाल दिल का
सन्नाटे में भी आवाज सुनती है
गुमसुम सी है जिंदगी
हर आईने में अपना अक्स ढूंढता हुआ
बाहर छाई है खामोशी
पर दिल में बहुत शोर है
सस्ती खुशियां लूट रहे हैं
महंगे रिश्ते छूट रहे हैं
रेस रेस सी लगी हुई है
एक अनजानी सी दौड़ है
धरती सूनी, सूना अंबर
सूना है हर शक्स चारों ओर है
बाहर छाई है खामोशी
पर दिल में बहुत शोर है
– रेखा मित्तल, सेक्टर-43, चंडीगढ़