राह लम्बीं सही पर मजा आ गया,
साथ तेरा रहा क्या नशा आ गया।
दो घड़ी का सफर दिल मचलने लगा,
प्यार कहते किसे हर अदा आ गया।
बात का सिलसिला राह कटते रहा,
जिंदगी को लगा कुछ नया आ गया।
थाम दिल को पुकारें खुदा रहनुमा,
क्या हँसीं प्यार का जलजला आ गया।
आज ‘अनि’ सोंचता वक्त अच्छा कटा,
होठ पर प्यार का अब बयाँ आ गया।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड