मनोरंजन

गज़ल – झरना माथुर

मौत तू कुछ  देर ठहर जा,

जी सकू कुछ दूर पहर जा।

 

अब समझ पाये जमाना,

झूठ चेहरे से उतर जा।

 

बात ममता की अगर हो,

तो दुआ मे अब संवर जा।

 

इस कदर  नादान थे हम,

वक्त है दिल तू सुधर जा।

 

रूह अगर रूह मे बसे तो,

जिस्म चाहे तो बिखर जा।

 

ये शहीदो की ज़मी है,

दास्ता सुन कर सिहर जा।

 

गांव “झरना” याद आता है,

उस अयन में तू  बसर जा।

– झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड

Related posts

पूणि॔का जय हिंदी – डॉ.सलपनाथ यादव

newsadmin

कभी दो बैलों की जोड़ी और दीपक चुनाव चिन्ह की धूम थी – सुभाष आनंद

newsadmin

युवा – जि.विजय कुमार

newsadmin

Leave a Comment