मनोरंजन

मेरी कलम से – डा० क्षमा कौशिक

मधुरम चरितम दशरथ नंदन,

नित वंदनीय प्रभु रघुनंदन,

छवि नैन बसे बनकर अंजन,

मन में बसियो हे मनरंजन।

 

हे प्रभु ! हम शरण में तेरी

हमें  गह लीजिए,

पाप हर लो, हे प्रभु!बुद्धि

विमल कर दीजिए,

सत्य हो जो मार्ग उस पर

ही बढ़ें अपने कदम,

मधुरम चरितम दशरथ नंदन,

नित वंदनीय प्रभु रघुनंदन,

छवि नैन बसे बनकर अंजन,

मन में बसियो हे मनरंजन।

 

हे प्रभु ! हम शरण में तेरी

हमें  गह लीजिए,

पाप हर लो, हे प्रभु!बुद्धि

विमल कर दीजिए,

सत्य हो जो मार्ग उस पर

ही बढ़ें अपने कदम,

हर अवस्था में न भूले आपको

कर दो करम।

– डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड

हर अवस्था में न भूले आपको

कर दो करम।

– डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड

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