आराधन युद्ध भवानी का ।
शिव की अर्धांग शिवानी का ।।
रावण में बहुत शक्ति प्रबल ।
राघव के वाण दिखें निष्फल ।।1
व्याकुल है मन रघुनंदन का ।
किस विधि हो अंत दशानन का ।।
कुछ रोज छोड़ के समराधन ।
करते देवी का आराधन ।।2
आदेश दिया बजरंगी को ।
अपने कष्टों के संगी को ।।
दो मुझे एक सौ आठ कमल ।
अंतस को करना शक्ति सबल ।।3
अब काम नहीं होगा दूजा ।
होगी अब देवी की पूजा ।।
कोमल से होवें इंदीवर ।
सारे हो शुद्ध पुष्प सुंदर ।।4
हनुमत ले आये इंदीवर ।
हो ध्यान मग्न बैठे रघुवर ।।
चातक तंद्रा में बैठ गए ।
त्राटक मुद्रा में बैठ गए ।।5
संताप भक्त का जारी है ।
आलाप भक्त का जारी है ।।
घनघोर तपस्या राघव की ।
पुरजोर समस्या राघव की ।।6
यूँ पांच दिवस बीते तप में ।
चंडी के मंत्रों के जप में ।।
छठवे दिन लीन हुए राघव ।
तप के आधीन हुए राघव ।।7
भृकुटी को तान गढ़ाये हैं ।
त्रिकुटी पे ध्यान लगाये हैं ।।
स्वर नाद कांपता है थर थर ।
अर्पित करते जब इंदीवर ।।8
मंत्रों का जाप सघन जारी ।
अपना अलाप लगन जारी ।।
दो दिवस हुए उपवासन पर ।
निस्पंद राम अब आसान पर ।।9
अब दिवस आठवे को छिपकर ।
आयी देवी शिव की सहचर ।।
ले गयी उठाकर इंदीवर ।
मुद्रा में लीन रहे रघुवर ।।10
जब हाथ बढ़ाये नारायण ।
करने को अंबुज का अर्पण ।।
अब संशय ने घेरे रघुवर ।
जब लुप्त हुए दो इंदीवर ।।11
यह शक्ति समीक्षा का पल है ।
यह भक्ति परीक्षा का फल है ।।
राघव की आंखों में जल है ।
संकट में राघव का कल है ।।12
आसन वो छोड़ नहीं सकते ।
रुख अपना मोड़ नहीं सकते ।।
भक्ती में अड़े हुए राघव ।
संशय में पड़े हुए राघव ।।13
माता के वचन याद आये ।
कौशल्या कथन याद आये ।।
आये बचपन के संस्मरण ।
निर्णय का अंतिम संस्करण ।।14
कहती थी माँ राजीव नयन ।
अपने नैनों का किया चयन ।।
आँखों में निश्चय झलक रहा।
रघुवंशी परिचय झलक रहा ।।15
तूणीर पास है राघव के ।
है तीर हाथ में राघव के ।।
निर्णय को भांप गए ब्रह्मा ।
निर्णय से कांप गए ब्रह्मा ।।16
बढ रहे हाथ अब मोचन को ।
करने को नैन विमोचन को ।।
बढ़ रहे हाथ धीरे धीरे ।
देवी भी आ धमकी तीरे ।।17
जब एक आँख पर नोंक रखी ।
राघव निश्चय की छौंक दिखी ।।
आलौकिक एक प्रकाश हुआ ।
राघव को कुछ अहसास हुआ ।।18
अब शक्ति रूप साकार किया ।
ज्योतिर्मय हो आकार लिया ।।
ले लिया बाण अब हाथों से ।
छू लिए प्राण अब हाथों से ।।19
बोली माता सुन रघुनंदन ।
स्वीकार किया तेरा वंदन ।।
अब युद्ध करो राघव निर्भय ।
रण में होगी सच की ही जय ।।20
अब तेरी जीत सुनिश्चित है ।
रावण का मरना निश्चित है ।।
जब भेद विभीषण बतलाये ।
रावण का अंतिम क्षण आये ।।21
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून