मनोरंजन

प्रेम अमर बावे – अनिरुद्ध कुमार

जानलीं प्रेम अमर बावे,

प्रेम के राह सुघर बावे।

प्रेम के रंग रँगल दुनिया,

प्रेम के गीत मुखर बावे।

जानलीं प्रेम अमर बावे।।

 

नेह के रूप धरे हाबी,

प्रेममें जोर लहर बावे।

प्रेमके ताल चले जिनगी,

प्रेम पर आज नजर बावे।

जानलीं प्रेम अमर बावे।।

 

प्रेम में आस भरोसा बा,

प्रेम से रोज बसर बावे।

जिंदगी प्रेम बिना दूभर,

प्रेम जानीं मनहर बावे।

जानलीं प्रेम अमर बावे।।

 

दूर या पास रहीं चाहे,

प्रेममें कौन अँतर बावे।

प्रेम में रोज रहे मस्ती,

जानलीं प्रेम निडर बावे।

जानलीं प्रेम अमर बावे।

 

प्रेम तो राहगुज़र बावे,

प्रेम लागे रहबर बावे।

प्रेमपे जान लुटाये’अनि’,

प्रेम पइठल हरघर बावे।

जानलीं प्रेम अमर बावे।।

– अनिरुद्ध कुमार सिंह

धनबाद, झारखंड

Related posts

संगम त्रिपाठी बने अटल सेवा संस्थान के प्रवक्ता

newsadmin

विश्व बंधुत्व और मानव एकता के प्रतीक थे गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर (जयंती 7 मई) – इंजी. अतिवीर जैन

newsadmin

प्रेरणात्मक अनुरोध – संगम त्रिपाठी

newsadmin

Leave a Comment