है जाना कहां
यहां सबको पता !
चलते जा रहे….,
ना अता पता !!1!!
कब कहां यहां
रुक जाना है !
ना इसका…..,
पता ठिकाना है !!2!!
बचपन से जवानी
और बुढ़ापा !
तय करते मंज़िल….,
को पाना है !!3!!
कोई आगे यहां
कोई पीछे !
सब छूट रहे…..,
संग-साथ यहां !!4!!
चलते जाना है
हमको बस !
ना रोक सका……,
कोई यहां अब !!5!!
चैन कहां
हैं टूटी श्वासें !
हो रही तेज…..,
यहां धड़कने !!6!!
आ गया बुलावा
ठहर जरा !
चलता हूं संग…..,
कहां मैं ठहरा !!7!!
दो घड़ी मुझे
बस देखने दे !
पीछे जो……,
छूटे जा रहा !!8!!
सपनों को बुझते
देख रहा !
संसार ये छूटा…..,
जा रहा !!9!!
अब छोड़ दे
मोह माया को तू !
बस चल दे…….,
जैसे आया है तू !!10!!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान