पसंद अपनी अपनी,
ज़िन्दगी की रागिनी !
कोई सुनाए गम की…..,
तो कोई राग सुहानी !!1!!
कर के भरोसा ज़िन्दगी,
हम चल दिए सफर पे !
टूटे ना ये बंदगी…..,
है विश्वास अटल तुम पे !!2!!
ख़ामोश है ज़ुबानें,
मरघट सा है सन्नाटा !
छायीं हैं घन घटाएं…..,
नभ्राट भी गुर्राता !!3!!
कली खिली अधर पे,
शामें हुयी रंगीन !
सुर जो फिर से चहके….,
होने लगा यकीन !!4!!
ज़िन्दगी की श्वासें
फ़िर से लगी धड़कने !
सुनाए चलें किस्से…..,
मौज मस्ती के अपने !!5!!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान