मुझको तू अपनी कहानी बता,
दरिया सी आंखों का पानी बता,
झांक ले दिल की गहराई में
अपनें लफ़्ज़ों की जुबानी बता,
करके मुहब्बत मत पछता,
खुद को उसकी दिवानी बता,
सजदे कर ले उसके दर पर
रूह को अपनी रूहानी बता,
पकीजा कर दामन को तू,
हुस्न को अपने नूरानी बता,
छोड़ जमाने को खुद के पीछे
आगे बढ़ विज्ञानी बता,
– सन्तोषी दीक्षित, देहरादून, उत्तराखंड