मनोरंजन

कविता – अशोक यादव

जब लगे सब कुछ समाप्त हो गया,

कभी उड़ जाए तुम्हारे रातों की नींद।

जब वेदना में नयनों से अश्रु निकले,

तुम स्वयं हो अपनी आखिरी उम्मीद।।

 

यदि जीवन में कुछ भी अनहोनी हो,

मन में धैर्य रखकर सकारात्मक सोच।

अंतिम समय तक मनोबल कायम रख,

चाहे ठोकरों से लगते रहे हजारों चोट।।

 

नवीन चुनौतियां आएंगी तुम्हें आजमाने,

आखिर तुम कितने सक्षम हो अपने प्रति?

हार कर बैठ रहे हो खिन्न होकर या फिर,

विजय का हुनर है तुम्हारे अंदर अति।।

 

एक रास्ता, एक कार्य, एक मंजिल चुन,

धीरे-धीरे लक्ष्य की ओर रोज आगे बढ़।

एकाग्र चित्त हो ध्यान लगा प्रयोजन में,

अपना भविष्य स्वयं अपने हाथों से गढ़।।

 

पहले पूर्ण ज्ञान हासिल करके ज्ञानिक बन,

लक्ष्य का नाम लिख दो अपने अंग-अंग में।

दर्द और कठिनाई से तुम्हें मिलेगी सफलता,

रंग जाओगे खुशी और सुख के सप्तरंग में।।

– अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़

Related posts

बढ़ाना किराया – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

भारत का कीर्ति नाद – गिरेन्द्र सिंह भदौरिया

newsadmin

चिंतन करत मन भाग्य का – सुनील गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment