सखी निर्मोही कन्हईया ना आइले,
गोकूला में होखेला फाग हो।
धीमे धीमे यमुना में उठेला लहरिया।
बहेला फगुनी बयार हो।
गोकूला में ………..।
याद आवे प्यार याद आवेला बांसुरिया।
तड़पेला जीयरा हमार।
गोकूला में……………।
सिंगरवा ना शोभे विंदावनवा ना नजरिया।
लागल रधिका जीयरा में आग हो।
गोकूला में…………।
मन करे खेलती तोहसे रंग अबीरिया।
केकरा से कही आवे मोहे लाज हो।
गोकूला में होखेला फाग हो।
– श्याम कुंवर भारती ( राजभर)
बोकारो, झारखंड- मोब.9955509286