(1)”शि “, शिवोहम् शिवोहम् हूँ मैं शिवोहम्
मुझमें बसता शिव स्वरूपम् !
अभिभूत हूँ मैं चेतनता से…..,
शिवमय बना है सारा जीवन !!
(2)”वो “, वो सदाशिव, है मृत्युंजय
बसता हमारी रग-रग में है !
है विश्वेश्वर, वही गिरिश्वर….,
जीवन की हर श्वासों में वो है !!
(3)”ह “, हर हर महादेव,भगनेत्रभिद् हैं
हैं वही दक्षाध्वरहर हर !
पाशविमोचन परमेश्वर हैं….,
बसते जड़ चेतन, हर नर-नर !!
(4)”म “, महाकाल ललाटाक्ष गंगाधर हैं
हैं शिव भोले कृपा निधि !
विष्णु प्रिय भक्तवत्सल शिव हैं….,
त्रिलोक स्वामी कैलाशवासी !!
(5)”शिवोहम् “, शिवोहम् चिदानंद रूपम्
मनो बुद्धि अहंकार चित्तानि नाहम् !
न मे द्वेषरागौ न मे लोभ मोहौ….,
मदों नैव मे नैव मात्सर्यभावम् !!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान