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दल और राग बदलने वाले – हरी राम यादव

बदलूराम निकल पड़े हैं,

लेकर नामों की संग झोली।

छोड़ रहे हैं तीर औ तुक्के,

औ छोड़ रहे नाम की गोली।

औ छोड़ रहे नाम की गोली,

बोली में भर रहे हैं मिठास।

सुन कर मधुरी वाणी शायद,

कोई बुला ले इनको पास ।

नामकरण की शरण में,

बची है इनको थोड़ी आस।

दल और राग बदलने वाले,

आपको न डालेगा कोई घास।।

 

रोज बदलते दल को ऐसे,

जैसे भौंरा बदले फूल।

जिधर लगा पलड़ा भारी,

जाते उसकी तरफ ऐ झूल।

जाते उसकी तरफ ऐ झूल,

करने लगते उसका गुणगान।

थोड़े समय में ही बता देते हैं,

उसको पृथ्वी का व्यक्ति महान।

नीति नियति हो चाहे जैसी,

तान देते हैं उस पर वितान।

भाव मिला न इच्छा भर तो,

कर देते वहां से पुनः पयान।।

– हरी राम यादव, बनघुसरा, अयोध्या

उत्तर प्रदेश फोन –  7087815074

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