ए देश मेरे, प्यार तुमसे, है हमें कितना।
कह नहीं सकते, मगर हम, देखते सपना।।
विश्व भर में, शीश तेरा, उच्च हो सबसे।
कर्म के द्वारा, दुआ यह, मैं करूँ रब से।।
शान तेरी, हर दिवस, बढ़ती रहे हरदम।
प्रिय तिरंगे, को नमन कर, गर्व पायें हम।।
ए देश मेरे, सूर्य सम, आभा मिले तुझको।
नाम से तेरे, मिले पहचान, अब मुझको।।
बन सके, सम्मान तेरा, लक्ष्य जीवन का।
सेवा करूँ, तेरी सदा, तज लोभ कंचन का।।
ए वतन मेरे, हमें प्रिय, वंदना तेरी।
उम्र भर, करता रहूँगा, अर्चना तेरी।।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश