मनोरंजन

बेटियां – रेखा मित्तल

अक्सर मांगे जाते हैं बेटे

पर मिल आती है बेटियां

घर की जान होती है बेटियां

पिता का गुमान होती है बेटियां

घर के आंगन में हो जाती है रौनक

जब चहचहाती हैं बेटियां

परियों का सा रूप होती है

कड़कती सर्दियों में सुहानी धूप होती है

दूर होती है ,या पास होती है

बेटियां तो खूबसूरत एहसास होती हैं

बिना कहे ही माता-पिता की हर

वेदना को समझ जाती है बेटियां

आंखों में आंसू लिए, घर का मोह

चुपचाप त्याग जाती है बेटियां

एक नहीं ,दो – दो कुल को

प्यार और ममता से सजाती है बेटियाँ

ईश्वर का अनमोल वरदान है बेटियाँ

ब्रह्मा की अद्भुत कृति है बेटियां

– रेखा मित्तल, सेक्टर-43, चंडीगढ़

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