मनोरंजन

मेरी कलम से – डा० क्षमा कौशिक

कामना का बीज निश्चित मान लो फलता वहां,

खाद श्रम की औ लगन का ताप,जल मिलता जहां।

 

चमक रहा पूनम का चांद नीले आकाश पर,

ज्यों विलसता झूमर रात्रि के भाल पर।

 

तारों का जादूई झिलमिल  संसार था,

रात्रि के सौंदर्य का अद्भुत अहसास था।

– डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड

Related posts

आज भी याद है मुझे – विनोद निराश

newsadmin

ग़ज़ल – विनोद निराश

newsadmin

छेरछेरा परब – अशोक यादव

newsadmin

Leave a Comment