सृष्टि की सृजन कार है मां जीवन का आधार है मां,
ममता का अपार भंडार है मां,
एक वीरान आंगन को गुलजार बनाती है मां.
अपनी कोख में समेटे जीव की प्राण दायिनी है मां,
नवजात शिशु को गोदी में लेकर
दुनिया का प्यार लुटाती है मां,
भगवान बनाता है हमें
संभालती है मां,
वास्तव में परमात्मा का ही स्वरूप होती है मां,
नि शब्द नन्हीं जान की पुकार किलकारी में छुपा दर्द
पहचानती है मां,
भूख प्यास सब उसी को पता रहता है,
अपनी रोटी छोड़ कर
शिशु को संभालती है मा,
अपनीं नींद छोड़ कर झूला कर लोरी सुनाती है मां,
खुद नमीं में सोती है
बच्चे को अपने पवित्र आंचल में सुलाती है मां,
सृष्टि में मानव का
विकास करने वाली होती है मां,
कोई पूछे कैसी होती है मां,
मैं कहती हूं मेरी मां के जैसी होती है मां,…मेरी मां जैसी होती है मां. …..
माँ तुझे मेरा बार ..बार प्रणाम,,
युग..युग में प्रणाम….हर युग में प्रणाम।
– श्रीमती सुन्दरी नौटियाल (शोभा) , देहरादून, उत्तराखंड