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ऋतुराज बसंत का आगमन – ममता जोशी

मैंने उसको दूर क्षितिज पर,

धीरे-धीरे आते देखा।

फूलों के खिलने का फिर,

अन्दाज नया है देखा ।

मन में नई उमंग है उसकी,

वाणी में है पूर्ण मधुरता।

धीरे- धीरे पास आ रहा,

मन में उसकी बड़ी सरलता।

हल्की -हल्की सी चंचलता,

साफ दिख रही है चेहरे पर।

मधुमास जब हंसते -हंसते,

आ रहा है मेरे घर पर।

ह्रदय सबका खिल -खिल जाए,

बसंत जब लौट के आए।

मस्ती में सब गाए गीत,

यही तो है मधुमास की रीत।।

– ममता जोशी “स्नेहा”

सुजड़ गांव, टिहरी गढ़वाल

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