मनोरंजन

वसंत – मधु शुकला

सबके  मन  को  मोहती,

ऋतु  रंगीन  वसंत।

महक रहे चहुँ दिश सुमन,

आभा धरा अनंत।।

 

आभा   धरा   अनंत,

हृदय   सबका   हर्षाये।

प्रमुदित नव उद्गार,

कुसुम कविता के लाये।।

 

लख सम्मुख मधुमास,

उमंगों के खग चहके।

आहट पाकर फाग,

प्रफुल्लित आनन सबके।।

— मधु शुक्ला,

सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

गर्वित आज धरा है – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

भूल पाओ तो – अनुराधा पाण्डेय

newsadmin

गीतिका — मधु शुक्ला

newsadmin

Leave a Comment