मृत्यु का पता नहीं
मगर श्रेष्ठ जीवन
अभी शेष है।
नफ़रत का पता नहीं
मगर मोहब्बत की अभिलाषा
अभी शेष है।
आत्मसमर्पण का पता नहीं
मगर आत्मबलिदान का बोध
अभी शेष है।
मन में पनपते क्रोध का पता नहीं
मगर ह्रदय के आँचल में शांति
अभी शेष है।
आत्मग्लानि का पता नहीं
मगर आत्म साक्षात्कार का बोध
अभी शेष है।
जीवन में लगी ठोकरों का पता नहीं
मगर खड़े होकर मार्ग पर चलना
अभी शेष है।
– राजीव डोगरा
पता-गांव जनयानकड़
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश