मनोरंजन

सरसी छंद – मधु शुक्ला

दृश्य  मनोहर लुभा रहा है , आया अतिथि अनंग।

सतरंगी  आभा  का  जादू  , पैदा   करे   उमंग।

 

हरित पर्ण  वृक्षों  के  कोमल , पवन चले अति  मंद ।

पुष्पों  की  शोभा हर्षाये , कविगण  लिखते  छंद।

 

ऋतु  वसंत  का  ताना  बाना , बुनने  लगी  बहार ।

महुआ की मदमाती खुशबू , उपजाती  है  प्यार ।

 

मुस्काये  ऋतुराज  धरा  पर , नर्तन  करें  त्यौहार ।

मेल जोल का मौसम आया, खुशियाँ आईं द्वार।

 

ये  आना  जाना  ऋतुओं  का ,  देता  है   संदेश ।

धूप छाँव का मेल जिंदगी , होता  वक्त  नरेश।

— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश

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