झूठे रिश्ते कभी न होते,
रिश्ते तो इक बंधन होते,
जूटे चाहे छूटे रिश्ते,
भाव भावना लेते गोते।
मन दर्पण में आते जाते,
मनोभाव के गीत सुनाते,
जख्मी तनमन को दर्शाते,
नजरें भावों को छलकाते।
तरह तरह के होते रिश्ते,
दिल जोड़े वो रिश्ते भाते,
मन मंदिर में फूल खिलाते,
पुलकित मन हरपल मुस्काते।
झूठे रिश्ते सदा रुलाते,
नीरसता के भाव जगाते,
नफरत के शोले भड़काते,
संबंधों को नित चटकाते।
सच्चे रिश्ते मन को भाते,
झूठे रिश्ते द्वेष बढ़ाते,
सच्चे चाहे झूठे रिश्ते,
जीवनभर अपने धुन गाते।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड