मनोरंजन

गीतिका – मधु शुक्ला

लोग गाते गीत ऊर्जा प्राप्त करने  के लिए,

गीत आवश्यक बहुत जीवन समझने के लिए।

 

शब्द कागज पर उतरकर छंद लय में जब ढलें,

काव्य प्रेमी व्यग्र होते गीत सुनने  के लिए।

 

काव्य कीं जितनीं विधाएँ हैं सभी रोचक बहुत,

हैं सफल पर गीत ज्यादा गम मसलने के लिए।

 

जब कभी आये सुअवसर गीत बन जाते सखा,

साथ  चलते  हर  घड़ी  उत्साह  रखने के लिए।

 

गीत लिखिए, गाइए यदि  प्रेम  है  साहित्य  से,

श्रेष्ठ ‘मधु’ लेखन बहुत गतिशील रहने के लिए।

—  मधु शुक्ला,सतना , मध्यप्रदेश

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