उसने क्या बर्वाद किया है ये उसको अहसास नहीं ।
राजनीति को खाद किया है ये उसको अहसास नहीं ।
सच्चाई कोसी है उसने अपनी ओछी हरकत से ,
सेना पर संवाद किया है ये उसको अहसास नहीं ।
रोजाना घुलता मिलता है जैसे कोई अपना हो ,
नफ़रत का उन्माद किया है ये उसको अहसास नहीं ।
मान बढ़ाया हमने उसका सत्ता भी दिलवाई थी,
उसने छल उत्पाद किया है ये उसको अहसास नहीं ।
मौसम जैसे करवट लेता ऐसे रंग बदलता है ,
रिश्तों में अवसाद किया है ये उसको अहसास नहीं ।
साथ निभाया हमने उसका मौसम झंजावातों में,
उसने कितना याद किया है ये उसको अहसास नहीं ।
“हलधर”मान बढ़ाते उसका दूर दूर तक दुनिया में ,
उसने तल्ख़ फ़साद किया है ये उसको अहसास नहीं ।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून