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गजल – मधु शुक्ला

आप पर जब हमारा फिदा दिल हुआ,

चैन पाया नहीं दर्द हासिल हुआ।

 

बेरुखी आपकी अश्रु देने लगी,

देखना मीत का स्वप्न मुश्किल हुआ।

 

खुश बहुत हैं वही लोग संसार में,

मन मुताबिक जिन्हें प्राप्त साहिल हुआ।

 

कौन है जो नहीं चाहता प्रीत को,

इश्क से बस मिरा मीत गाफिल हुआ।

 

‘मधु’ मिरा था बुरा भाग्य ही इसलिए,

था अँधेरा जहाँ प्यार दाखिल हुआ।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

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