मनोरंजन

ग़ज़ल – ऋतु गुलाटी

दोस्ती आजकल निभानी हैः

कीमती है दुआ बचानी है।।

 

जिंदगी अब घिरी पनाहों से।

मुश्किलों से हमे बचानी है।

 

लफ्ज़ होठों पे आ खडे मेरे।

बात दिल की बनी कहानी है।

 

जल्द है सालगिरह अब मेरी।

आज हमको मिली निशानी है।

 

हो रहे जश्न भी गली मे अब

मिलके खुशियाँ हमें मनानी है।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , चंडीगढ़

Related posts

बजट बनाने में वित्त मंत्री के जगह प्रधानमंत्री का अर्थशास्त्रियों से मिलना दुर्भाग्यपूर्ण – अरुण कुमार श्रीवास्तव

newsadmin

प्रवीण प्रभाती – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

newsadmin

जरा मुस्कुरा के देखो – सुनील गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment