मुहब्बत मे फना होना, जरूरी है, जफा तो क्या,
मुहब्बत थी मुहब्बत है मुहब्बत में मिटा तो क्या।
अजी देखे है सपने जिंदगी मे, बहुत प्यारे भी,
मिला हमको नही अब साथ भी तेरा सिला तो क्या।
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तुम्हारे संग देखे सपने ख्याबो में बुलाते थे,
मिले जब से अजी हमको बुलाते हैं सजा तो क्या।
सजा दी है, अरे महफिल तुम्हारी चाह मे मैने,
न आये महफिलों में अब हमारे हो खफा तो क्या।
हिना का रंग चमकाया,सजा है आज,हाथो में।
नही देखा अजी तुमने,हिना को *ऋतु,गिला तो क्या।
-ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली, चण्डीगढ़