मनोरंजन

पूर्णिका – श्याम कुंवर भारती

उठी है दर्द-ए-दिल की इक लहर अभी-अभी,

आया है तेरा हसीन हुस्न मेरे नजर अभी-अभी।

 

कोई तो बात है तुझमें दिल तूझसे लगा बैठा,

तेरी बेरुखी से हुआ जख्मी जिगर अभी-अभी।

 

सह लेता मैं हर जुल्मों सितम तेरे इश्क में,

थामा हाथ गैर मुझको मिली खबर अभी-अभी।

 

चाहा है तुझको चाहेंगे तुमको ही उम्र भर,

रूठ कर छोड़ गया न तु जाने किधर अभी-अभी।

 

हर हाल मे तेरी खुशी ही चाहा था मैने सदा,

तेरी याद में छलके आंख आंसू इधर अभी अभी ।

– श्याम कुंवर भारती, बोकारो, झारखंड।

 

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