मनोरंजन

कविता – अशोक यादव

ये कौन है कुशाग्रबुद्धि वाले महापुरुष?

केवल दिखाई दे रहा कदमों के निशान।

अतीत में इतिहास रचकर चला गया है,

भविष्य के लिए छोड़ा अपनी पहचान।।

 

वादियों में गूंज रही ज्ञान-विज्ञान ध्वनि,

मस्तिष्क में खेल गया गणित का खेल।

अनुसंधान कर रहे मानव वैज्ञानिक बन,

प्राचीन महाज्ञान का है आधुनिक मेल।।

 

पंच तत्वों को वश में करके बैठा तपस्वी,

सृष्टि में जन्म और मरण के चक्रों से परे।

निर्जन स्थान में खड़ा कह गया ज्ञान ग्रंथ,

संशय में घिरा पार्थ निष्काम कर्म को करे।।

 

विश्व गुरु द्वारकाधीश का भारत में है राज,

सिखाया कर्मों का सन्यास और आचरण।

जय माधव जय यादव जयकारा जगत में,

परमपिता परमेश्वर के ज्ञान को करो धारण।।

– अशोक कुमार यादव, मुंगेली, छत्तीसगढ़

Related posts

गीतिका – मधु शुक्ला

newsadmin

श्रम का महत्व – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

newsadmin

हे हनुमान – कालिका प्रसाद

newsadmin

Leave a Comment