मनोरंजन

गजल – मधु शुक्ला

पूछ  रही   है   धड़कन  मेरी,

कब  समझोगे  उलझन  मेरी।

 

स्वप्न   सलोना   मैंने   देखा,

चूड़ी  खनके  खनखन  मेरी।

 

गूँज   रही   शहनाई   मन   में,

बाँह  पकड़  लो  साजन  मेरी।

 

समझो जब तुम व्यथा हमारी,

प्रीत   बनेगी   दुल्हन   मेरी।

 

जब  बरसेगा  नेह  तुम्हारा,

काया   होगी   कंचन  मेरी।

 

छोड़  झमेले  जग  के  सारे,

आन बसो अब अँखियन मेरी ।

 

अपलक  देखूँ  तुम्हें  सदा मैं,

चाह  रही ‘मधु’ चितवन मेरी।

— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश

Related posts

किस्मत में कस्तूरी भी हो सकती है- डा० नीलिमा मिश्रा

newsadmin

विश्व हिन्दी सचिवालय एवं आई पी फ़ाउंडेशन के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन 3-4 अगस्त

newsadmin

गजल – रीतू गुलाटी

newsadmin

Leave a Comment