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जिंदगी की जंग – झरना माथुर

आती रही मुश्किलें बढ़ते रहे तूफान,

कम ना हुआ कोई सितम,

जिंदगी एक जंग बन गई,

और जिसे हम लड़ते चले गए।

 

हालात ऐसे हुए ,

जो थे करीबी वह भी दूर हो गए,

गिरगिट को देखा था कभी,

आज इंसान गिरगिट बनते चले गए ।

 

वक्त ऐसा भी आया,

सोचा बदल देंगे इस दुनिया को,

क्या पता था जो थे अपने ,

वही दुश्मनी निभाते चले गए।

– झरना माथुर, देहरादून , उत्तराखंड

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