मनोरंजन

गजल – मधु शुक्ला

अति आवश्यक अपनापन है,

हमसे यह कहती धड़कन है।

 

प्रेम सुधा बरसाना सीखो,

जीवित इससे हर जन मन है।

 

करुणा, त्याग, क्षमा मत त्यागो,

समझाता यह हर प्रवचन है।

 

धर्म – कर्म कल पर टालो,

अमर नहीं कोई जीवन है।

 

पीड़ित जन का दर्द समझना,

ईश दिया यदि मानव तन है।

 

शुभचिंतक जो सबका होता,

कहलाता वह ही सज्जन है।

 

प्रेम रतन ‘मधु’ खो मत देना,

सर्वोत्तम जग में यह धन है।

— मधु शुक्ला,सतना, मध्यप्रदेश

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